Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar had died on 6th of December in the 1956 that’s why Dr. Babasaheb Ambedkar Mahaparinirvan Din or death anniversary is observed every year all over the India on 6th of December to pay him a lot of tribute and honor. He is called as “The Father of the Indian Constitution”. The people in India pay him tribute by offering flowers, garlands, ceremonial lamps, candles and literature at his elegantly decorated statue. At this day a large crowd of people visit the Parliament House complex in the morning in order to pay honor and respect by chanting a most famous slogan “Baba Sahib Amar Rahe”. Some people including Bodh Bhikshus sing several sacred songs at this occasion.
A large crowd of people from all over the country get thronged at the ”Chaitya Bhoomi” (Dr. Ambedkar’s memorial) at Dadar in order to pay reverence to the great architect of the Constitution of the India, Dr Babasaheb Ambedkar. All the facilities like toilets, water tankers, washing rooms, fire station, telephone centre, health centre, reservation counter, and etc becomes available at this day at Chaitya Bhoomi for ease of the people.
The Samata Sainik Dal Salute is taken during midnight at 5th of December by his daughter-in-law, Meeratai Ambedkar. After giving salute, a recitation of his teachings takes place and then the stupa gates get opened for all.
Dr. B. R. Ambedkar Mahaparinirvan Diwas is observed every year by organizing a function by the city corporation and SCs and STs State Government Employees’ Association to commemorate the great contribution of the Dr. Bhimrao Ambedkar towards the country. His great efforts help a lot to keep the country united. The constitution of India written by the Dr. Bhimrao Ambedkar is still guiding the county and helps it in emerging out safely even after it had passed throughout the several crises.
Dr. Ambedkar Foundation has been set up by the Indian Government (on 24th of March in the year 1992) so that the people all over the country can get his message of social justice.
Following activities are followed by the Dr. Ambedkar Foundation:
डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर की मृत्यु 6 दिसम्बर 1956 को हुई थी यही कारण है कि डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिन या पुण्यतिथि हर साल उन्हें 6 दिसम्बर को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिये मनाया जाता है। उन्हें, "भारतीय संविधान का जनक" कहा जाता है। भारत के लोग सुंदर ढंग से सजायी गयी प्रतिमा पर फूल, माला, दीपक और मोमबत्ती जलाकर और साहित्य की भेंट करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन लोगों की बड़ी भीड़ उन्हें सम्मान और आदर देने के लिये सुबह संसद भवन परिसर में आती है और एक सबसे प्रसिद्ध नारा "बाबा साहेब अमर रहें" लगाते हैं। इस अवसर पर बौद्ध भिक्षु सहित कुछ लोग कई पवित्र गीत भी गाते हैं।
देश भर से लोगों की एक बड़ी भीड़ भारत के संविधान के महान वास्तुकार, डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के लिए श्रद्धा अर्पण करने के लिए दादर में "चैत्य भूमि" (डॉ अम्बेडकर के स्मारक) पर जमा हो जाते हैं। सभी तरह की सुविधाएं जैसे शौचालय, पानी के टैंकर, वाशिंग कमरे, फायर स्टेशन, टेलीफोन केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, आरक्षण काउंटर आदि लोगों को आसानी से चैत्य भूमि पर इस दिन पर उपलब्ध हो जाती है।
उनके बेटे की पत्नी (पुत्र-वधू) मीरा ताई अम्बेडकर द्वारा 5 दिसंबर को आधी रात को समता सैनिक दल सलाम लिया जाता है। सलामी देने के बाद, उनकी शिक्षाओं को सस्वर पढ़ा जाता है और फिर स्तूप फाटक सभी के लिए खोल दिया जाता है।
डॉ अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस हर साल देश के प्रति डॉ भीमराव अम्बेडकर के महान योगदान को मनाने के लिए नगर निगम और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों के संघ द्वारा एक समारोह का आयोजन करके मनाया जाता है। उनके महान प्रयास ने देश को एकजुट रखने में बहुत मदद की है। डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा लिखित भारत का संविधान अभी भी देश का मार्गदर्शन कर रहा है और आज भी ये कई संकटों के दौरान सुरक्षित रूप से बाहर उभरने में मदद कर रहा है।
भारत सरकार द्वारा डॉ अंबेडकर फाउंडेशन (वर्ष 1992 में मार्च 24 को) स्थापित किया गया, ताकि पूरे देश में लोग सामाजिक न्याय का संदेश प्राप्त कर सकें।
डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन द्वारा निम्नलिखित गतिविधियॉं की गयी है: